आओ मिलकर इन महान आत्माओं का शुभ आरम्भ करे ,कृष्ण से लेकर काम तक की माताओं का गुनगान करे और सदा ही हो ये ज्ञान के सागर सारे ऐसे अनेक - अनेक युवाओं को प्रणाम करे । विज्ञान विज्ञान विज्ञान इन मार्ग दृश्यको को प्रगति कैसी, अध्यापक मेरा द्रोण अध्यापिका मेरी माँ सरस्वती जैसी और यदि मैं अपने गुरु को भगवान का दृजा दे ही दु तो मेरे इस चंचल प्रेम को अतिशोकती कैसी -२ और ये जो शिक्षक और शिष्य का जो रिस्ता है इसमें बड़ा ही आनंद सा सौन्दर्य होता है, खुन तो खुन, खुन का कतरा तक नही मिलता और मेरे बाप की तरह फटकारता है ,वो गुरु है मुझे अपनी ओलाद से बढ़कर मानता है।
अध्यापक की अमृत वाणी अन्धकार में आशा है -२ पल - पल जिसने हमको दिये संस्कार उन संस्कारो की अभिलाषा है, और जिसका सफलता का पैमाना मेरा सफल हो जाना है यही गुरु के वास्लय की सदृश्य परिभाषा है और रणभूमि मे जाकर अंगारो से लड़ने की हिम्मत की ब्रह्मामण ने क्षत्रक का राज छोड़ हरिजन की खोमत की। वो सूर्य ही था जिसने बर्फ के टुकड़े को नस्यत दी। और मित्रों महाभारत ने युद्ध में वो कुल पद्धति जो पूरे संसार को आपनी अँगुलीयो पर नचाता है वो श्री कृष्ण अर्जुन के रथ का साथी बन गया ये बताना काफी है कि जिन्दकी में गुरु का अहमयत क्या है । हे गुरुवर यदि मैने कभी आपका अनागत किया हो तो आज मै क्षमा मागता हूँ आपके निरमल विश्वास स्वरुप को मानवता को परिकष्टता मानता हूँ इस चक्रवयु मैं आप हो को अपने रथ का साथी मानता हूँ। और ये अन्तिम पक्तियाँ लिखा रहा हूँ C.E.R.T GROUP OF INSTITUTIONS के सभी अध्यापक के चरणो में समापित करता हूँ कि साधारण को असाधारण बनाकर-२ जितने भी निर्जव बड़े जितने भी ये कर गुजरने का जसबा जताते है और ये तमाम मोम की मूर्ति जो खुद जलकर भविष्य मेरा रोशन करती है यही चहेरे है जो किसी को सुली और किसी को नहला बना देती है।
“ जो बनाए हमें इंसान और दे सही गलत की पहचान देश के उन निर्माताओं को हम करते हैं शत शत प्रणाम! शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं”